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Kanpur news पितृपक्ष में हुई करौली शंकर महादेव धाम में शिव महिमा कथा

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देवी सात्विका राधा रमण जी ने सुनाई कथा 

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श्री करौली शंकर महादेव पूर्वज मुक्ति धाम, कानपुर में पितृपक्ष में पड़ रही आमावस्या पर त्रिदिवसीय  शिव महिमा कथा का आयोजन किया गया अमावस्या पर उमड़ी हज़ारों भक्तों की भीड़, श्री करौली धाम में अमावस्या का पर्व बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है, जिसमे भारत के ही नहीं बल्कि विदेशी मूल के लोग भी आकर अपने पूर्वजों की मुक्ति कराने के लिए भाग लेते हैं । लोग इसे पितृ मुक्ति कार्यक्रम के नाम से भी जानते है । भारत में अक्सर लोग अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए पिण्डदान, श्राद्ध, तर्पण, नारायण बलि आदि कर्म-कांड किया करते हैं, ताकि उनके पूर्वजों की मुक्ति हो सके।पर क्या वास्तव में ऐसा करने से पितरों की मुक्ति होती है? इसका प्रमाण क्या है ? धाम के गुरु श्री करौली शंकर महादेव ने बताया की आख़िर क्यों यह सब करम कांड करने के बाद भी हमारे पितृ मुक्त नहीं हो पाते हैं, और यदि हो जायें तो यह प्रमाणित कैसे हो ? गुरुदेव ने बताया की हमारे द्वारा किया गया ग़लत पूजा-पाठ ही इसका मुख्य कारण है, आमतौर पर पुराने ज़माने में सभी लोग तंत्र-मंत्र, झाड़-फूंक, जादू-टोना आदि जैसे कार्यों में संलग्न रहा करते थे, जिसके कारण वह ग़लत पूजा पाठ करने लगे, शास्त्रोक्त देवी-देवताओं को छोड़ कर, नक़ली ग्राम देवी-देवता बना कर उनकी पूजा करने लगे जिनका शास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं । जिसके कारण वह लोग ईश्वर से दूर हो गये और नकारात्मक शक्तिओं से जुड़ गये ।

भगवान श्री कृष्ण भगवत् गीता के अध्याय 9 श्लोक 25 में कहते हैं : यान्ति देवव्रता देवान्
पितृन्यान्ति पितृव्रता: ।
भूतानि यान्ति भूतेज्या
यान्ति मद्याजिनोऽपि माम् ।

यानी की देवताओं की पूजा करने वाला देवताओं को, पितरों की पूजा करने वाला पितरों को और भूत प्रेत की पूजा करने वाला प्रेत योनि को प्राप्त होता है । इसी कारण से हमारे पूर्वज मरने के बाद प्रेत योनि को प्राप्त हुए और आगे जन्म ना ले पाने के कारण आने वाली आगे की पीढ़िया पितृ दोष की शिकार होने लगी, जिसके कारण वह नाना प्रकार के दुख और कष्ट उठाने लगी और उनके मृत्यु के समय के कष्ट तथा रोगों के कारण, वंशजों में तमाम असाध्य रोग बनने लगे । जब तक यह पितृ मुक्त नहीं होंगे तब तक मनुष्य सुखी नहीं हो सकता, और जब तक पूर्ण गुरु की कृपा ना हो या यूँ कहें की जब तक शिव और शक्ति की कृपा एक साथ प्राप्त ना हो तब तक इनकी मुक्ति असंभव है, और यदि किसी कर्म-कांड से इनकी मुक्ति हो भी जाये तो भी उनकी स्मृतियों से मुक्ति पाना असंभव है । आम जीवन में हम स्मृतियों से ही परेशान रहते है और उनकी वजह से ही न न प्रकार की समस्याएं बनी रहती है । अमावस्या को गुरुजी द्वारा निःशुल्क हवन किया जाता है जिसमें लाखों लोग भाग लेते है और अपने पितरों की मुक्ति करवाते हैं और प्रमाण के तौर पर सभी से अपनी आँखें बंद कर के अपने पितरों को देखने के लिए कहा जाता है, गुरुदेव कहते हैं यदि आपको एक भी पितृ आँख बंद करके दिखाइ दे रहा है तो इसका अर्थ है की उसकी मुक्ति नहीं हुई और यदि आप देख नहीं सकते इसका अर्थ है की आपके पितृ अब सदा सदा के लिए मुक्त हैं । इस प्रक्रिया में शामिल होकर पितृ मुक्त तो करते ही है साथ पुण्य प्राप्त करते हैं और अपने रोगों एवं कष्टों से सदा सदा के लिए मुक्ति पाते हैं, इस अमावस्या पर लोगो ने देवी सात्विका "राधा रमण" जी के श्रीमुख से शिव महिमा कथा का अमृतपान किया व अमावस्या पर भक्तों ने अपने पितरों की मुक्ति के लिए पितृ मुक्ति कार्यक्रम में भाग लिया। कथा के आयोजन में शंकर सेना के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष सुबोध चोपड़ा, कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष अरुण अग्रवाल जी व देश के अन्य जगह के शंकर सेना के सदस्य भी कार्यक्रम शामिल हुए

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